अहरौला- |संतोष चौबे की रिपोर्ट|सीजन की बुवाई अब शुरू होने जा रही है इसे देखते हुए लेदौरा कृषि केंद्र द्वारा किसानों के लिए उचित समय पर उचित प्रजातियों का चयन कर बुवाई समय की सलाह दी है किसान यदि समय पर बुवाई करें तो अपने उत्पादन को बिना किसी अतिरिक्त लागत के बढ़ा सकते हैं कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के पादप प्रजनन वैज्ञानिक डा. अखिलेश यादव ने बताया कि प्रजातियों का चयन बुवाई का समय तथा मृदा का स्वरूप के अनुसार करना चाहिए । रबी सीजन में जनपद में सबसे अधिक क्षेत्रफल में गेहूं की खेती की जाती है। गेहूं की बुवाई यदि खेत खाली है तो नवम्बर के प्रथम सप्ताह से शुरू कर देना चाहिए । समय से बुवाई के लिए गेहूं की उन्नत प्रजातियां जैसे डी.बी.डब्ल्यू. 187(करन बंदना), डी.बी.डब्लू. 303, पी.बी.डब्लू. 723, एच. डी. 2967 उपयुक्त है। यदि गेहूं की बुवाई 15 दिसम्बर के बाद की जानी है तो देर से बुवाई की प्रजातियों का चयन कर सकते है इसके लिए डी.बी.डब्ल्यू 107,  एच डी 3298, मालवीय 234 तथा जनवरी में बुवाई के लिए उन्नत हलना प्रजाति उपयुक्त है। गेहूं  बुवाई यदि उसरीली भूमि में की जानी हो तो के आर एल 283, के आर एल 210 या के आर एल 213 प्रजातियां उपयुक्त है ।

सरसों की बुवाई अक्टूबर महीने से शुरू कर देनी चाहिए इसके लिए सबसे अच्छी प्रजातियां गिरिराज, आर एच 0749, आर एच 0725, पूसा मस्टर्ड 32 है। ऊसर भूमि के लिए सरसों की प्रजाति सी.इस. 58, सी.इस. 60 या सी.इस. 56 की बुवाई कर सकते हैं 

चना की बुवाई के लिए नवंबर माह अच्छा होता है इसके लिए प्रजाति आर.वी.जी. 202, आर. वी.जी.203, आई.पी.सी. 2007-28, के जी डी 1168 की बुवाई कर सकते है। जौ की उन्नतशील प्रजातियों में एच यू बी 113, डी डब्लू आर बी 137 या ऋतुंभरा की बुवाई कर सकते हैं। मटर की प्रजाति आकाश, आई.पी.एफ. 16-13, अनन्त, आई. पी. एफ डी 6-3 की बुवाई की जा सकती है । केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. एल.सी. वर्मा ने बताया कि यदि क्षेत्रीय अनुकूलता के अनुसार प्रजातियों का चयन कर समय से बुवाई हो जाए तो 15 से 20 प्रतिशत उत्पादन बिना किसी अतिरिक्त लागत के बढ़ सकता है।