अतरौलिया आजमगढ़ (रज्जाक अंसारी की रिपोर्ट)।नगर पंचायत अतरौलिया के मोमिनपुरा स्थित मदीना मस्जिद पर जश्ने ईद मिलादुन्नबी व जश्ने गौसुल वरा धूमधाम से मनाया गया। जिसकी सदारत अंसारुल हक अंसारी ने किया। तथा निजामत हजरत मौलाना अब्दुल बारी नईमी खतीब जामा मस्जिद अतरौलिया ने किया। जलसे की शुरुआत हाफिज हामिद रजा अंसारी के तिलावते कलाम पाक से किया गया। जलसे की खास मोकर्रिर हजरत मौलाना अब्दुल बारी नईमी रहे ।जलसे का आयोजन मोहम्मद रजा अंसारी अगरबत्ती वाले व मेराज अहमद अंसारी ने किया।
जलसे के आयोजक मोहम्मद रजा अंसारी अगरबत्ती वाले ने गौसे पाक के शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा।
.(इश्केनबीकाजामपियाक्याबुराकिया।)
गौसुल वारा कानामलियाक्याबुराकिया। (मां-बाप के कदम चूम चूम कर
जन्नत को अपने नाम किया क्या बुरा किय।)
हाफिज हामिद रजा अंसारी ने गौस पाक के वलादत पर नात पढ़ते हुए कह।
(सैदा तुम्हारा सारा है साराआलम )
(या गौसे आजम या गौसे आजम)।
(वक्त विलादत कुरान के हाफिज)
(मां के सिकम में थे मां के मुहाफिज)
(या गौसे आजम या गौसे आजम )
जलसे की सदारत कर रहे अंसारुल हक अंसारी ने अपनी नात पेश करते हुए कहा।
(मेरे दिल में तेरी सूरत जमीं मालूम होती है)
(मोहब्बत ही की आंखों में नमीं मालूम होती है)
शायर अब्दुल रहमान अंसारी अपना कलाम पेश करते हुए कहा।
(मेरे जिंदगी के रहबर बड़े पीर गौसे आजम)
(नहीं तुमसे कोई बेहतर बड़े पीर गौसे आजम)
(यही आरजू है मेरी तेरे आसतां पे जाकर )
(रहूं बनके तेरा नौकर बड़े पीर गौसे आजम)
उन्होंने अपनी दूसरी नात पेश करते हुए कहा।
(दिल तड़पे और चैन न पाए वो भी इतनी रात गए)
(याद मदीना पल पल आए वो भी इतनी रात गए)।
जिसपर पर लोगों ने झूम झूम कर नारे तकबीर की सदाएं बुलंद की। शायर अब्दुल करीम अंसारी ने हुजूर स. अ. व. के चेहरे की तारीफ करते हुए कहा।
(चांद सितारों से भी रोशन तलवा मेरे आका का)
(सोचो जरा फिर कैसा होगा चेहरा मेरे आका का)
अहमद अली अन्सारी ने मदीना शहर की तारीफ करते हुए कहा।
(दूर हूं मदीने से इसलिए उदासी है) (देखने को मंजर आंख मेरी प्यासी है)
जलसे के खास मोकर्रिर हजरत मौलाना अब्दुल बारी नईमी ने दरूदे पाक की फजीलत के बारे में बताते हुए बताया कि दरूद शरीफ पढ़ने से ईमान ताजा होता है। दरूदे पाक पढ़ने से भूली हुई चीज याद आ जाती है। उन्होंने गौसे आजम के करामातों को बताते हुए उनके बताए हुए रास्ते पर चलने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि गौसे आजम सैयदुल अंबिया हैं ।उन्होंने कहा कि गौसे आजम की याद करने के लिए जश्ने गौसुल वारा का आगाज किया गया है।
(वाह क्या मर्तबा है गौसये बाला तेरा) (ऊंचे ऊंचे सरों पर है सर आला तेरा)
उन्होंने कर्बला का जिक्र करते हुए सब के दिलों में हसन ,हुसैन के याद को ताजा कर खिराज ए अकीदत पेश किया। उन्होंने कहां की इमाम हसन,हुसैन दीन की बका, इस्लाम को बचाने के लिए अपने पूरे खानदान को शहीद कर दिया।और हसन, हुसैन, असगर, अब्बास के कुर्बानी के बारे में बताकर लोगों को गमगीन कर दिया।
(जिंदा इस्लाम को किया तूने )
(हक को बातिल दिखा दिया तूने)
(तेरी नस्ले पाक में है बच्चा बच्चा नूरका)
(तूं है अहले नूर तेरा पूरा घराना नूर का)
उन्होंने जलसे के आयोजक मोहम्मद रजा अंसारी व मेराज अहमद अंसारी को मुबारकबाद दिया ।अंत में सलातो सलाम के बाद जलसा खत्म किया गया।

0 टिप्पणियाँ