देश में योग, उद्योग व सहयोग की शिक्षा हो-डा. मदनमोहन मिश्र


सुल्तानपुर के करौदी कला कथा स्थल से सूर्य प्रकाश तिवारी की रिपोर्ट ।प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि वह आदर्श चरित्र का अनुसरण कर चरित्रवान का जीवन जिए। संसार में विद्वान, धनवान,बलवान सभी चरित्रवान से डरते हैं।

  यह बातें पं. लालता प्रसाद पब्लिक स्कूल हरीपुर में तीन दिवसीय रामकथा के समापन दिवस पर व्यासपीठ से डा. मदनमोहन मिश्र (मानस मर्मज्ञ) ने कही। श्री मिश्र ने रामकथा में कहा कि माता सीता अपने सतीत्व के बल पर लंका का नाश


कर सकती थी किन्तु मर्यादा और राम के प्रभाव के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया। स्वामी विवेकानंद जी के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए डा.मिश्र ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने सम्पूर्ण विश्व को भारतीय संस्कृति व संस्कार से परिचित कराया। 

प्रतापगढ़ से पधारे पं. आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि सांसारिक मायामोह से विरक्त रहकर सेवा करना उत्तम है किन्तु गृहस्थ होकर धार्मिक होना सर्वोत्तम है। रामचरित मानस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए व्यासपीठ से डा. मदनमोहन मिश्र ने कहा कि पहला रामायण मेला इंडोनेशिया में हुआ था, जो कि गर्व की बात है। श्रोताओं को रामकथा का रसपान


करा रहे पँ. द्विवेदी ने कहा कि धर्म का पालन करते हुए भगवान राम ने मर्यादा को स्थापित किया तो भगवान कृष्ण ने कुशल नीति के द्वारा असुरों का नाश किया। आयोजक अमरीश मिश्रा ने राम दरबार पूजन कर व्यासपीठ का माल्यार्पण किया। रामायण की आरती पँ.  प्रमोद मिश्र, प्रमुख श्रवण मिश्र, कादीपुर

चेयरमैन आनन्द जायसवाल, आनन्द द्विवेदी, श्रीनेत्र तिवारी ने किया। इस अवसर पर आशीष मिश्रा, राजमणि द्विवेदी, प्रधान कल्लू पाँडे, राम विनय सिंह, डा. सन्त भारती, अँकित पाँडे, विनोद तिवारी, ओमप्रकाश मिश्र, जितेंद्र उपाध्याय, कल्लू मिश्रा, फतेह सिंह, विक्की वर्मा, नितिन तिवारी, श्यामनारायण उपाध्याय, दीपेश सिँह आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन विजय उपाध्याय ने किया। रामकथा के समापन दिवस पर आयोजक अमरीश मिश्रा ने व्यासपीठ पर विराजमान वक्ताओं  को अंगवस्त्र प्रदान कर आशिर्वाद लिया। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय 11 सामाजिक व्यक्तियों को विद्यालय परिवार ने अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया।

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