सनातन संस्कृति से ही होगा सम्पूर्ण विश्व का कल्याण - डा. मदनमोहन मिश्र


करौदी कला|सूर्य प्रकाश तिवारी की रिपोर्ट।मनुष्य अभाव को स्वभाव में बदल देता हैं और जीवन भर अभाव को पूरा करने में ही लगा रहता है। जबकि मनुष्य को भाव को स्वभाव में बदलना चाहिए।


यह बातें वाराणसी से पधारे डा. मदनमोहन मिश्र ने तीन दिवसीय मानस कथा में द्वितीय दिवस मानस कथा का रसपान कराते हुए कही। दशरथ शब्द की व्याख्या करते हुए डा. मिश्र ने कहा कि दशों इन्द्रियों पर नियन्त्रण रखने वाला ही दशरथ है। उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्तों से हार स्वीकार कर लेते हैं। भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने हाथ में अस्त्र उठा लिया था।


उन्होंने कहा कि सत्संग हमें सदैव सत्कर्म की तरफ प्रेरित करता है, जबकि कुसंग वह भयंकर बीमारी है जो मनुष्य के जीवन को नारकीय बना देता है। डा. मिश्र ने कहा कि जब मनुष्य का पतन नजदीक होता है तब वह अधर्म के मार्ग पर चलने लगता है। मानस कोविद से विभूषित डा. मिश्र ने कहा कि भगवान राम ने समस्त समाज में समानता की स्थापना की है। श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए प्रतापगढ़ से पधारे पँ. आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि मनुष्य अपने धर्म का पालन करें तो समाज मेँ चारों तरफ शान्ति स्थापित होगी। श्री द्विवेदी ने कहा कि


राम का चिन्तन, मनन समाज को समरसता की सीख देता है। व्यासपीठ का पूर्व सीएमओ डा. सीबीएन त्रिपाठी व वरिष्ठ चिकित्सक डा. रमाशंकर मिश्र व रामार्य पाठक ने माल्यार्पण कर आशिर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पूर्व प्रमुख जयबाबू उपाध्याय, प्रमुख सुईथाकला राकेश तिवारी, प्रमुख सर्वेश मिश्रा,  इन्द्रमणि मिश्र, रितेश दूबे, ओमप्रकाश पाँडे, ज्ञान तिवारी, कृष्ण चन्द्र मिश्र, डा. योगेश पाँडे, रामलाल गुप्ता, शिवकुमार जी, बजरंगी सिंह, जगदम्बा उपाध्याय, राकेश उपाध्याय, कल्लू पाँडे, श्यामनारायण उपाध्याय, कृष्ण कुमार चौबे, अँकुर मिश्र, देवेंद्र उपाध्याय, रितेश उपाध्याय, गिरीश पाँडेजयवीर यादव, शैलेंद्र खरवार, विपिन खरवार, चण्डी सहाय श्रीवास्तव, सन्तोष तिवारी, आशीष यादव, रँजीत टाईगर, राकेश गुप्ता आदि उपस्थित रहे। आयोजक अमरीश मिश्र ने सबका आभार व्यक्त किया।

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