• मानवाधिकार पर हुआ सेमिनार
सुलतानपुर। सूर्यप्रकाश तिवारी की रिपोर्ट।'हम केवल अपने अधिकारों के प्रति ही नहीं वरन दूसरों के अधिकारों के प्रति भी सजग रहें तो मानवाधिकारों की रक्षा हो जायेगी। मानवाधिकारों की रक्षा हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।'
यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं । वह महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में राजनीति विज्ञान विभाग व राणा प्रताप विधि महाविद्यालय कूरेभार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मानवाधिकार संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एम पी सिंह ने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति मानव अधिकारों के प्रति हमेशा सचेत रही है।सामाजिक न्याय और मानवाधिकार एक दूसरे के पूरक हैं।
उप प्राचार्य प्रोफेसर निशा सिंह ने कहा कि मानवाधिकार भारत की संस्कृति में रचा बसा है। यह आज की बिडम्बना है कि मानवाधिकार का हनन करने वाले ही इसको संरक्षित करने की बात करते हैं।
राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.आलोक पाण्डेय ने कहा कि हमारे सर्वांगीण विकास के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वह हमारा अधिकार है। किसी के भी अधिकार का हनन हो रहा हो तो चुप न बैंठें क्यों कि इसका मतलब यह है कि भविष्य में आपके अधिकारों पर भी संकट खड़ा होगा ।
संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मंजू ठाकुर और आभार ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ अभय सिंह ने किया।
संगोष्ठी में विद्यार्थियो ने भी अपने विचार रखे। बीए तृतीय सेमेस्टर की छात्रा प्रियांशी ने कहा कि मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाए जाने चाहिए। एम ए के छात्र पार्थ सारथी द्विवेदी ने कहा कि राम राज्य की कल्पना मानवाधिकार से ही प्रेरित है। जन्म से समान पैदा होने के बाद भी विभिन्न तरह के भेदभाव मानवता पर बड़ा संकट है । बीए पंचम सेमेस्टर के दीपांशु मौर्य ने कहा कि हमें खुद ही मानवाधिकारों की चिंता करनी होगी। बीए प्रथम सेमेस्टर की सृष्टि सिंह ने कहा कि आज सबसे बड़ा संकट महिलाओं के अधिकार पर है ।
द्वितीय सत्र में प्राचार्य ने विद्यार्थियों को एल एल बी करने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में मिलने वाले रोजगार के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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