उप्र सरकार का फैसला: चतुर्थ श्रेणी नौकरियों में ये युवा होंगे अपात्र

 लखनऊ|सर्वेश पाण्डेय की रिपोर्ट। प्रदेश सरकार आउटसोर्सिंग से होने वाली कर्मचारियों की भर्ती व्यवस्था में बड़ा बदलाव करने जा रही है। अब चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए 12वीं से ज्यादा पढ़े युवक अयोग्य होंगे। एक जैसा काम करने वालों के पदनाम, उनकी शैक्षिक योग्यता और मानदेय भी तय किए जाएंगे। प्रदेश के सरकारी विभागों व उनके अधीनस्थ संस्थाओं मे




आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारी रखे जाते हैं। लंबे समय से कर्मचारी संगठन इन लोगों के शोषण की शिकायतें कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए थे। इस संबंध में श्रम विभाग ने एक कैबिनेट प्रस्ताव 10 अक्तूबर को उन्हें भेजा था। सीएम के सुझावों को शामिल कर बने नए प्रस्ताव पर अगले ही दिन मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने बैठक कर इसे अंतिम रूप दे दिया।

आउटसोर्सिंग नीति के लिए प्रस्तावित अन्य महत्वपूर्ण बिंदु- चतुर्थ श्रेणी के पदों की न्यूतनम शैक्षिक अर्हता कक्षा आठ उत्तीर्ण व अधिकतम 12वीं उत्तीर्ण होगी। चतुर्थ श्रेणी, लिपिकीय, तृतीय श्रेणी/तकनीकी व सुपरवाइजरी की भर्तियों में कोई प्रतीक्षा सूची नहीं बनेगी। कोई जगह खाली हुई तो नए सिरे से भर्ती की जाएगी। ऐसे पद जो मानकीकृत सूची में नहीं हैं व जिस पर कोई विभाग तैनाती करना चाहता है, ऐसे पदों के पदनाम, न्यूनतम शैक्षिक अर्हता व मानेदय का निर्धारण विभाग द्वारा स्वयं किया जाएगा। यदि कोई विभाग मानकीकरण सूची में तय न्यूनतम मानदेय से अधिक मानदेय देना चाहता है तो वह वित्त विभाग की सहमति लेकर दे सकेगा। आउटसोर्सिंग सेवाओं के नवीनीकरण के समय प्रमुख नियोक्ता की संस्तुति पर ही किसी कार्मिक को हटाया जा सकेगा। कार्मिक को सेवा से हटाने से पूर्व सेवा प्रदाता द्वारा प्रमुख नियोक्ता को स्पष्ट कारण बताते हुए अनुमति प्राप्त करनी होगी।

ये भी अहम-प्रदेश में 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी आउटसोर्सिंग पर कार्यरत हैं। आउटसोर्सिंग पर तैनात कर्मचारियों को सामान्तया न्यूनतम 7000 रुपये और अधिकतम 14 हजार रुपये दिया जा रहा है। कई विभागों में कार्य की प्रकृति के अनुसार अधिक वेतन भी दिया जाता है। प्रदेश में नगर विकास और स्वास्थ्य विभाग में बड़ी संख्या में आउटसोर्सिंग से लिए गए कर्मी कार्यरत हैं। कई कर्मचारी संगठन चयन के समय न्यूनतम 18 हजार रुपये देने की मांग कर रहे हैं।

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