नई दिल्ली। अशोक यादव की रिपोर्ट।इन दिनों संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है. आज भी सदन की कार्यवाही चल रही थी. शून्य काल में पांच मिनट बचे थे. तभी पीछे से धड़ाम की आवाज आई. ये आवाज सामान्य नहीं थी. दरअसल एक युवक दर्शक दीर्घा से कूदकर नीचे आ गया था. इसी बीच दूसरा युवक भी जंप लगाकर नीचे आ गया. देखते ही देखते आरोपी एक डेस्क से दूसरी डेस्क पर छलांग लगाते हुए आगे बढ़ने लगे. दबोचे जाने से पहले उन्होंने अपने जूते से कुछ निकाला और स्प्रे कर दिया. थोड़ी ही देर में संसद में धुआं-धुआं हो गया.

इसी वक्त एक घटना संसद के बाहर भी घटी थी. पार्लियामेंट के बाहर एक युवक और एक महिला ने गैस का छिड़काव कर जमकर नारेबाजी की. इससे संसद परिसर के बाहर हड़कंप मच गया. बताया जा रहा है कि इस हमले में कुल 6 लोग शामिल हैं. इनमें से 4 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 2 आरोपियों की तलाश जारी है.

पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. लोकसभा के अंदर दुस्साहस करने वाले युवकों


के नाम सागर और मनोरंजन हैं. जबकि जिन आरोपियों को सदन के बाहर से गिरफ्तार कर लिया. उनके नाम नीलम और अमोल शिंदे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संसद के बाहर और अंदर हंगामा करने वाले चारों आरोपी एक-दूसरे को जानते हैं. इन आरोपियों का एक ही मकसद था. बताया जा रहा है कि ये चारों सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से मिले थे. फिर उन्होंने संसद पर हमले का प्लान बनाया था.

लोकसभा के अंदर स्मोक अटैक करने वाले सागर शर्मा मैसूर से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के अतिथि के रूप में दर्शक दीर्घा में आए थे. दोपहर करीब एक बजे दोनों सार्वजनिक गैलरी से चैंबर में कूद गए. भाजपा सदस्य राजेंद्र अग्रवाल जो कि आसन पर थे उन्होंने सदन की कार्यवाही को दोपहर


2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी. संसद की सुरक्षा में सेंध के बाद सांसद प्रताप सिम्हा ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाक़ात कर सफ़ाई दी.वहीं, सांसदों ने आरोपियों को सुरक्षाबलों के हवाले करने से पहले उनकी जमकर पिटाई की.एक बार फिर बता दें कि, देश के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले संसद भवन में आज सुरक्षा में चूक की दो घटनाएं घटीं। पहली- संसद के बाहर दो लोगों के प्रदर्शन करने और दूसरी- लोकसभा में कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा में बैठे दो लोग सदन के बीच में कूदने की। जब दो संदिग्‍ध सदन में कूदे तो सदन में कुछ धुआं सा उठा। हालांकि, दोनों ही घटनाओं के संदिग्धों को सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में ले लिया है और पूछताछ की जा रही है।

संसद की सुरक्षा में यह उस दिन दिन हुई है, जब लोकतंत्र के मंदिर पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी है। 22 साल पहले आज ही के दिन यानी 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सुरक्षाकर्मियों समेत नौ लोग मारे गए थे और 18 लोग घायल हुए थे। बस गनीमत ये रही कि कोई सांसद इनका निशाना नहीं बना।
13 दिसंबर 2001 का दिन था। संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। महिला आरक्षण विधेयक पर बहस के दौरान हंगामे के चलते सुबह 11:02 बजे लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी।
इस कारण उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी समेत कई मंत्री संसद भवन से जा चुके थे, लेकिन उस वक्त के देश के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन, कई मंत्री, सांसद और पत्रकार समेत 100 से ज्यादा वीआईपी संसद भवन के भीतर मौजूद थे।
घड़ी में करीब 11:30 बज रहे थे। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के सिक्योरिटी गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे। तभी गृह मंत्रालय का फर्जी स्टीकर लगाए एक सफेद रंग की एंबेसडर कार गेट नंबर-12 से संसद भवन में घुस आई। कार में हथियारों का जखीरा था और पांच आतंकी बैठे थे।
कारण कारण गेट नंबर-12 पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों को चकमा देने में सफल हो गई। कार आगे बढ़ी तो अचानक सुरक्षाकर्मियों को कुछ अजीब लगा तो वे उस एंबेसडर कार के पीछे दौड़े। इस बीच, आतंकियों की कारण उपराष्‍ट्रपति की खड़ी कार से टकरा गई। घबराकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। आतंकियों के पास एके-47, पिस्टल और हैंड ग्रेनेड था, जबकि उस वक्त सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे हुआ करते थे।

जंग का मैदान बन गया था संसद

गोलियां की आवाज सुनकर सीआरपीएफ की बटालियन एक्टिव हो गई। उपराष्ट्रपति कृष्णकांत के सिक्योरिटी गार्ड्स और सुरक्षाकर्मियों ने पलटवार किया। आनन-फानन सभी कंपाउंड के गेट बंद कर दिए गए। संसद में मौजूद सभी मंत्री, सांसद और अधिकारियों को भीतर ही सुरक्षित रहने के लिए कहा गया।
इधर एक आतंकी ने गेट नंबर-1 से संसद में घुसने की कोशिश की तो सुरक्षाकर्मियों ने उसे वहीं मार गिराया। इस दौरान उसके शरीर पर लगे बम फट गया।
संसद भवन जंग का मैदान बन गया था। दोनों ओर से गोलीबारी जारी थी। अन्‍य चार आतंकियों ने गेट नंबर-4 से सदन में घुसने की कोशिश की। इनमें से तीन को सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया।
आखिरी आतंकी गेट नंबर-5 की ओर भागा, लेकिन वो भी सुरक्षाकर्मियों की गोली का शिकार हो गया। जवानों और आतंकवादियों के बीच सुबह 11:30 बजे शुरू हुई मुठभेड़ शाम 4 बजे तक चली।
संसद हमले में मारे गए पांचों आतंकियों की पहचान- हमजा, हैदर उर्फ तुफैल, राणा, रणविजय और मोहम्‍मद के तौर पर हुई। आतंकी हमले की दिल्‍ली पुलिस ने जांच की।
दिल्‍ली पुलिस ने दो दिन बाद यानी 15 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्‍मद के आतंकी और संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को पकड़ा। उसके साथ ही एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया। हमला लश्‍कर और जैश-ए-मोहम्‍मद आतंकियों ने किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद गिलानी और अफशान को बरी कर दिया, जबकि अफजल गुरु को फांसी की सजा बरकरार रखी। शौकत हुसैन की मौत की सजा को घटाकर 10 साल की जेल की सजा दी। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया.