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समीक्षा और परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं भगवान - बाबा बजरंगदास

  नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा का दूसरा दिन 


कादीपुर (सुलतानपुर)|सूर्य प्रकाश तिवारी की रिपोर्ट। 'ईश्वर समीक्षा और परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं।रामचरितमानस साधारण पुस्तक नहीं है इसलिए इसको साधारण तरीके से नहीं समझा जा सकता । आज विश्वास में ही विश्वास नहीं रह गया है। ईश्वर को न मानें लेकिन ईश्वर की बातें तो मानना ही चाहिए। ' यह बातें बाबा बजरंगदास ने कहीं।

वह जूनियर हाईस्कूल मैदान में चल रही नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के दूसरे दिन कथा सुना रहे थे। 

उन्होंने बताया कि सनातन परम्परा में सत्संग का सदैव महत्व रहा है। प्रवचन और सत्संग में अंतर है। प्रवचन में एक वक्ता बाकी श्रोता रहते हैं लेकिन सत्संग में सब लोग प्रश्न उत्तर की प्रक्रिया में शामिल रहते हैं । सत्संग आध्यात्मिक होने में हमारी मदद करता है।

कथा सुनाते हुए बाल व्यास सम्पूर्णानंद ने कहा संत वेश को नहीं परिवेश को कहते हैं। संत व्यवस्था को नहीं अवस्था को कहते हैं। मान अपमान से संत को कोई फर्क नहीं पड़ता। कथा की सार्थकता यही है कि कथा सुनने से आपमें कितनी सकारात्मकता आ रही है। 

संचालन वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया। इस अवसर पर संयोजक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ.इन्दुशेखर उपाध्याय , धीरेंद्र बहादुर सिंह सुपर, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, सभासद सूर्यलाल गुप्त, राजमणि मिश्र,कौशल सिंह, सुरजीत सिंह सहित अनेक प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

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