बीजपी के मण्डल उपाध्यक्ष को आजमगढ में दलितों द्वारा फसाये जाने की साजिश हुई नाकाम..…

आजमगढ/फुलपर(बृजेंद्र बी यादव की रिपोर्ट): एक तरफ लोग कहते है विकाश नही होता साहब .. दूसरी तरफ ,अगर सच मे विकाश होने लगे तो बुरा लगता हैं, मनबढ़ किस्म कहे या "सामंती" किस्म के लोग षड़यंत्र कर के काम की दिशा को नाकाम करने में  तरह तरह की साजिश करने में कोई कोर कसर नही छोड़ते.!

ताजा मामला हैं आजमगढ/फुलपर ग्रामपंचायत विशेखा गांव का हैं, वो बदनाम गांव जहाँ हमेशा से बात बात पर एक दूसरे की जान लेने पर आमादा लोग अब नई चाल चल कर गांव के दलितों कन्फ्यूज कर के चंद पैसे के लालच में  "प्रधान पति" घनस्याम यादव के  खिलाफ ही खड़ा कर दिया हैं।  इस समय विशेखा गांव में कुछ सामंती सोच के दलितों को हथियारों की तरह यूज कर रहे है जो कि सबसे घातक हैं ,विकाश तो दूर विनाश की तरफ बढ़ रहे है दलित....




मामला फुलपुर/ आजमगढ के विशेखा ग्राम पंचायत के तालाब के ऊपर  हरे भरे पेड़ो को ही कटवा दिया।।

   जब गलत तरीके से पेड़ काटे जाने की सूचना प्रधान पति घनस्याम यादव को हुई ,

मौके पर पहुच कर मना किया  112 नम्बर को डायल कर के पुलिस को सूचित किया , 


बीजेपी का छोटा सा कार्यकर्ता होने के नाते हम सरकार से गुजारिश करते हैं हम दृण संकल्पित हैं भले ही हमारी जान भले ही लेलो लेकिन हम हरे पेड़ो हरगिज कटने नही देंगें... 

जब तक तालाब के जमीन का मेजर मेन्ट न होजाये...


वही पर गांव के कुछ साजिस के प्रति तैयार मनबढ़ दलितों ने प्रधान के पति को ही धमकी देते हुए कहा कि आप को एससी एसटी में फसा देनेगे ,

ये हमारा खेते हैं ,हम पेड़ काटेंगे...?

गौर करने वाली बात हैं कि पेड़ काटने कितना अपराध हैं ^सरकार की अनुमति के बिना पेड़ को कटाना अपराध है। भारतीय वन कानून 1927 के अनुसार सेक्शन 68 के अंतर्गत पर्यावरण कोर्ट में मामला दर्ज हो सकता है। इसमें पेड़ों की चोरी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचने और प्रदूषण एक्ट के तहत मामला दर्ज हो सकता है।

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