आजमगढ़  (सरफ़राज़ अहमद) : किसान आन्दोलन के समर्थन में और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितम्बर भारत बंद के आह्वान को सफल बनाने के लिए  चकिया दुबे रामपुर गांव  में 'मजदूर-किसान पंचायत'  सम्पन्न  हुई सर्वप्रथम किसान आन्दोलन में जो हजारों साथी घायल व बिमार हुए हैं, 650 से ज्यादा साथी धरने पर शहीद हुए और दो पुलिस हमलों में मारे गए, उनकी शहादत पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई

 जनमुक्ति मोर्चा के संयोजक राजेश ने कहा कि देश की मेहनतकश जनता को अभूतपूर्व संकट में ढकेला जा रहा है हमारे पास जीतने का एक ही तरीका है, कि हम अपने शांतिपूर्ण, लोकतांत्रिक मजदूर-किसान आन्दोलन को और फैलाएँ और तेज करें। साथ ही आह्वान किया कि 27 सितम्बर को आजमगढ़ शहर में कलैक्ट्रेट चलकर भारत बंद को सफल बनायें


किसान नेता रामकरण जी ने कहा कि आवारा पशुओं से छुटकारा पाने के लिए किसान आवारा-सरकार हटाएंगे जिसके बाद आवारा पशु अपने आप हट जाएंगे

साथ ही  कारपोरेट घरानों के पक्ष में ठेका खेती कानून, जमाखोरी, कालाबाजारी, सरकारी मंडी तोड़क कानून के बारे में  बताते हुए  कहा कि कैसे  कारपोरेट कम्पनियां फसलों को सस्ते दामों पर खरीदेंगी जिससे किसानों को घाटा होगा। बटाईदारी खेती, किराए पर खेती बंद हो जाएगी सब्सिडी खत्म हो जाएगी किसानों पर कर्ज बढ़ेगा, उनकी जमीन जाएगी, आत्महत्याएं बढ़ेंगी

समाजिक कार्यकर्ता  विजेन्द्र सेनानी ने आवश्यक वस्तु संशोधन कानून के बारे में बताया कि  अब कानून के हिसाब से जीने के लिए भोजन (खाद्यान्न) जरूरी वस्तु नहीं है। कंपनियां जितना चाहें उतना भोजन स्टॉक करने, जमाखोरी व काला बाजारी करने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगी कानून कहता है कि अनाज, दलहन, तिलहन की कीमतों में हर साल 1.5 गुना और सब्जियों और फलों की कीमतों में 2 गुना की बढ़ोतरी की जा सकती है कोटा के राशन में अनाज देना बंद हो जाएगा, नकदी मिलेगी नए कानून बनने से सभी गरीबों को बाजार से मंहगा अनाज खरीदना पड़ेगा

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  फूलचंद यादव ने  कहा कि  कॉरपोरेट लूट में मदद करने के लिए और सस्ता श्रम बेचने के लिए सरकार ने पहले ही 4 श्रम कोड बनाए हैं। ये न्यूनतम मजदूरी, पेंशन, कार्यस्थल सुरक्षा, आदि के लिए श्रमिकों के यूनियन बनाने, लड़ने के हक को छीन लेने वाला कानून हैं अब मजदूर-किसान एकता का संगठन और लोकतांत्रिक आंदोलन ही  अंतिम रास्ता बचा है

 

उपस्थिति: रामकरण,राजेश, अतुल, राजकुमार, विजेन्द्र सेनानी, दुर्गा प्रसाद, अमरजीत यादव,  लालजीत यादव, देवी लाल यादव, अखिलेश यादव, अमरजीत यादव, विजय यादव, राम हरि यादव , रामचरण, फूलचंद ,गोपीचंद, गिरधारी, शिवशंकर, रामसेठ, जगदीश, हवलदार ,हरिकेश आदि उपस्थित थे।